सात माह की गर्भवती महिला ने अपनी तीन वर्षीय बेटी की कस्टडी को लेकर एसडीम कार्यालय के सामने दिया धरना

सात माह की गर्भवती महिला ने अपनी तीन वर्षीय बेटी की कस्टडी को लेकर एसडीम कार्यालय के सामने दिया धरना

 

रतलाम जिले के आलोट तहसील अंतर्गत ग्राम लंगर खेड़ी निवासी पूजा का अपने पति मुकेश नाथ निवासी राजस्थान से पारिवारिक विवाद चल रहा था, 7 माह की गर्भवती महिला की पहले से दो पुत्रियां हैं, एक डेढ़ वर्षीय पुत्री के साथ पूजा तो बड़ी पुत्री 3 वर्षीय रोशनी अपने पिता के साथ रहती है, महिला ने अपने तीन वर्षीय बेटी रोशनी की कस्टडी के लिए एसडीएम कार्यालय आलोट पर अपने वकील के माध्यम से आवेदन लगवाया था साथ ही सर्च वारंट जारी करवा कर पुलिस के माध्यम से अपनी बेटी को एसडीएम कार्यालय में एसडीएम के सम्मुख बुलाया, एसडीम महोदय ने अपने आदेश में 3 वर्षीय लड़की को उसकी मां के साथ ना भेजते हुए स्वतंत्र कर दिया, एसडीएम के आदेश के खिलाफ सात माह की पीड़ित गर्भवती महिला ने एसडीएम कार्यालय में हंगामा खड़ा कर दिया, साथ ही पीड़ित महिला ने धारदार हथियार से अपने आप को चोट पहुंचाई व एसडीएम पर लेनदेन का आरोप लगाया व उसके पक्षकार वकील ने राजनेता द्वारा एसडीम पर दबाव बनाने का आरोप लगाते हुए प्रलोभन का भी आरोप लगाया, कई घंटे के चले हंगामे के बाद मीडिया द्वारा एसडीम महोदय से पूछे जाने पर एसडीएम ने बताया यह मेरे अधिकार क्षेत्र में नहीं है और सिविल कोर्ट का हवाला दिया, अब सवाल यह उठता है,

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यदि अधिकार नहीं था तो सर्च वारंट जारी करवा कर तीन वर्षीय बालिका रोशनी को एसडीएम कार्यालय में क्यों बुलाया, साथ ही तीन वर्षीय नाबालिक बालिका रोशनी को उसकी मां के सुपुर्द ना करते हुए स्वतंत्र कैसे कर दिया, कानून और नियमों की माने तो 3 वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी की प्राथमिकता उसकी मां की होती है ,क्या एसडीएम महोदय पर राजनीति हावी है या स्वतंत्र होकर निर्णय नहीं ले पा रहे हैं,?? एसडीएम आलोट के उक्त फैसले के खिलाफ सात माह की गर्भवती पीड़ित महिला के वकील ने कोर्ट में ले जाने की दे चेतावनी दी है,

 

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